सर्वाधिकार सुरक्षित

MyFreeCopyright.com Registered & Protected

Click here for Myspace Layouts

Monday, December 17, 2012

पहुंचे कैसे सितारों तक?



पहुँच गए कि चन्‍द
मसखरे/बुद्धि के बौने
गांव-गली से चल
सत्‍ता के गलियारों तक।
गुम हुए सब
उजले सपने गांव-ढाणी के
बिना मजूरी के
भूखे प्‍यारे पानी के
बुढि़या गए
उम्र से पहले मासूम छौने
जूँ नहीं रेंगती
कानों पर सरकारों तक।
बेगम/गुलाम इन
शतरंजी शहमातों से
भीष्‍म करता है
सिर्फ शिखण्‍डी घातों से
सच का मसीहा
सोता कांटों के बिछौने
झूठ का
अभिनन्‍दन होता दरबारों तक।
कटे पंख ले कर
पांखी का यूँ उड़ पाना
संभव नहीं है
बादलों के पार जाना
मंदिर-मस्जिद
मुंडेरों के जादू-टौने
कील गए राह
पहुंचे कैसे सितारों तक?
------

1 comment: