सर्वाधिकार सुरक्षित

MyFreeCopyright.com Registered & Protected

Click here for Myspace Layouts

Sunday, September 9, 2012

अनमनी सुबह



कैसे मुस्‍काएं, कौन गीत गाएं?
अनमनी सुबह है, उदास संध्‍याएं।।

हृदय का मधुवन, मन की अमराई,
बदरंग हुई सब, तन की ऋचाएं ।

गमलों से पढ़ते रहे हम मधुमास-
औ’ मौसम की पुस्‍तकी परिभाषाएं।

गंधायित-सौगातें वो बिसर गईं,
गन्‍ध-पांखुरी पर लिखी कविताएं।

दे डाली सब इच्‍छाओं की आहूति,
चुकती जातीं श्‍वासों की समिधाएं।

चुक गए सभी सम्‍मोहनी सम्‍बोधन,
अर्थविहीन हो गई संज्ञाएं।

किस सरिता-जल में निथर आए हम,
दूषित गंगा-जमुना की धाराएं।
------