सर्वाधिकार सुरक्षित

MyFreeCopyright.com Registered & Protected

Click here for Myspace Layouts

Thursday, August 2, 2012

एक गीत किसी नाम का

बैराता जब
बौर आम का,
होठों पर उग आता कोई,
एक गीत किसी के नाम का।

ओढ़ चुनरिया
बासंती धूप,
बतियाती पीली सरसों में
उभर आता है तुम्‍हारा रूप।

खेल-मेढ़ का
मुखर ग्राम का,
नाच-नाच फसलों की राधा,
गाती गीत अपने श्‍याम का।

काली कोयल
कुहू-कुहूकती,
मन की सूनी मुंडेर पर जब-
लगे दूर कहीं तुम टेरती।

रंग जाता तन,
आठ याम का,
फूलों के केसर-पराग से
गंधायित उदास मन शाम का।

-------