सर्वाधिकार सुरक्षित

MyFreeCopyright.com Registered & Protected

Click here for Myspace Layouts
Free CountersFree CountersFree CountersFree CountersFree CountersFree CountersFree CountersFree CountersFree CountersFree Counters

Tuesday, May 8, 2012

याद आ रहा है....

होंठ चूमने
चंदा के
दिवस ने दिन भर चुगे अंगार
ओ’
दिन के मजार पर
उदास स्‍मृतियों ने
दीप जलाए
अकेला हूँ मैं कैसे रहूँ बोलो।
उमसन भरी यह काली निशा
और
वह चांद की सुघराई गौलाई-सा मुखडा
जिस पर
सहज लाज का गुलाबी अंचल
याद आ रहा है, रह-रह कर
याद आ रहा है।
सूने घर में
एक अकेला
दीप मधुर-मधु जल रहा है
ओ’
शलभ तिल-तिल जल रहा है
मानो
हंस-हंस कहता
’’छलना यह स्‍वप्‍न-छलना है’’
याद आ रहा है, रह-रह कर
याद आ रहा है
वल्‍लरी सुलभ आलिंगन
प्राणों में
दूर्वा सा कंपन
वह
सुरभित कलिका-सा मुस्‍काता
यौवन उभार
हिरणी-सी
मदिरिल चंचल-चितवन
जिसमें
पतील रेखा काजल की
ओ’
गदरायी जांघें
दो गोरी गोरी
कदल-सी।
याद आ रहा, रह रह कर
याद आ रहा है
सोया था में,
तेरी जंघा पर
तुमने
सोम पिला कर
थपकी दी थी,
बस, यही याद है
मेरे अधरों पर
वह
प्रथम चुम्‍बन
जिसकी
अभी तक शेष है
नर्म और मधुर आंच,
सोया था पास तुम्‍हारे
प्रणों में रूप तुम्‍हारा आज
किन्‍तु
सोते-सोते कुछ गुनगुनाया था-
’प्रिये। कितनी सुन्‍दर हो।‘
फिर तुमने-
’’आंखें मूंदो, सो जाओ।‘’
झिडकी दी थी
याद है
कानों में अभी
तुम्‍हारी वाणी की
कच्‍ची शहद घुनल बाकी है
अभी
अंगुलियां बालों के रेशम में।
याद आ रहा है, रह रह कर
याद आ रहा है
वह स्‍पर्श तुम्‍हारी अंगुलियों का
चांद की किरणों से अधिक शीतल
ओ’
फूल की पंखुरी से अधिक नर्म
चूम रहे
जिनको
अभी मेरे कपोल।
याद आ रहा है, रह –रह कर
याद आ रहा है
तुम्‍हें
पास खींच लिया था
दो होठों ने
दाडिम से सुर्ख
दो होठों पर
फिर
मेंहदी रची
दो हथेलियों पर
धर दिया था
मधुर अंगार
जिसमें
मेघों में चमकती
बिजली सा
कुछ था.....
फिर
कब निंदिया में
पलकें डूबीं
याद नहीं
किन्‍तु
जब आंख खुली
तब
गौशाला में बडछा रंभा रहा था
दूर कहीं
मुंडेर पर
मुर्गा बोला था
और
तन्द्रिल वाणी में तुमने कहा था
‘भोर होने को है
बुजुर्गों से पहले उठा जाना है।‘
नई नवेली बहू का
कच्‍चा सपना
भावों के कुछ सुमन
आंचल में ले
तुमने
माँ ने चरणें में अर्पित किए थे
और माँ के ‘दूधो नहाओ-पूतो फलो’
आशीर्वाद दिया था
और तुम्‍हारे मुख पर मैने देखा था
कि
कुछ कलियां फूल बन चुकी थी
याद आ रहा है, रह-रह कर
याद आ रहा है
बस यही याद आ रहा है।
------