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Thursday, June 14, 2012

वहशीपन


रात के अंधेरे में
उग आए
नाखून,
चेहरे पर
वहशीपन को
हर दिन
पर्दे के सामने आने से पूर्व
सूरज के आइने में
खुरचते, काटते हैं;
क्‍योंकि
जानते हुए भी
हम
एक दूसरे के सत्‍य को
नहीं चाहते उजागर करना।
पहिनाते हैं वस्‍त्र
लगाते हैं उबटन खींचकर बलात
खड़ी करते हैं
होंठों के काउन्‍टर पर
सेल्‍सगर्ल की मुसकान,
जो करती है,
हर सामने वाले का स्‍वागत।
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