मेरे
खेत की मेड़ पर
आज जो दिखता है
फलों से लदा/विनम्रता के भार से झुका
सहनशील, आम्र वृक्ष
शैतान बच्चों के पत्थर मारने पर भी
क्रोध नहीं करता/वरन् झूक कर
झूम कर फल टपकाता है,
इसके घने पत्तों के बीच बैठे
शुक-कोयल के बोल
हृदय में मधु घोलते हैं।
यह आम्र-वृक्ष
‘’क्राफ्टेड’’ नहीं है/शुद्ध देशी है
भारतीय
परोपकार ही इसका धर्म है
’’गुठली’’ से तैयार/ इसके पौधे को
स्नेह से सींचा है
ढोर-डागर से बचाने को
कांस के सट्टे/बबूल के झाड़ों का ढेर
चारों तरु लगा बड़ा किया है/ पाला है
बच्चों की तरह।
इसके बड़े में
मेरे रक्त एक-एक बूंद/पसीना बनी है
इसमें संतों की विनम्रता है/विनयी है
यह सर से सराबोर/रसाल है
इसकी
जातीय परम्परा का लम्बा इतिहास है
विभिन्न नाम/जाति के बावजूद
इसका गुण-धर्म मीठा है
हिन्दु-मुस्लिम/सिख इसाई
सब को प्रिय है
यह विश्व प्रिय
आम्र
वृक्ष है।
बेहतर लेखन !!
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