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Tuesday, June 5, 2012

आंचल


उषा के आंचल की
गांठ खुली
घर आंगन
छत पर
भीतर बाहर
पथ पर
श्‍वेत-श्‍वेत किरणों की
ज्‍वार रुली
जगी भीड़
नगर-ग्राम
धूप से फैले
अनेक काम
बर्फ सी जमी राज
पिघली ।
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