चमगादड़ों के योग, फिर सांपों के शहर में।
फैले हैं ज़हर-रोग, फिर सांपों के शहर में।।
धूप के टुकड़े बिखेरे, आग मुट्ठी में भरे,
लौटे हैं कौन लोग, फिर सांपों के शहर में।
सीढि़यां टूटी हुई औ' रस्सियों में बल,
कैसे करें उपयोग, फिर सांपों के शहर में।
ओढ़े हुए हैं कांच वो पत्थरों के घर में,
कैसे विचित्र सहयोग, फिर सांपों के शहर में।
बीन भी है, सपेरे भी, मंत्र मगर झूंठे हैं,
कैसे हो संजोग, फिर सांपों के शहर में।
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