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Monday, June 4, 2012

बंसी धुन

टूट गए
किरणों के गोफन
सूरज का ग्‍वाला
ले गया घेरे
चरागाहों से
धूप की भेड़ें
लौट रहे
जंगलों से गौधन।
उंढ़ेल गया रंग
नभ के दर्पण पे
घिर गई उदासी
राधा के मन पे
छेड़ रहे
बंसी-धुन मोहन।

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