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Saturday, November 10, 2012

फाल्‍गुनी बयार में



हल्दिया सरसों लहके, फाल्‍गुनी बयार में।
वन-उपवन, खेत गमके, फाल्‍गुनी बयार में।।

रंग-बिरंगा आज फिर हुआ मन का मधुबन,
धूलि चंदन-सीर महके, फाल्‍गुनी बयार में।

अनायास ही जग उठी, अन्‍तस में लालसा,
लाल टेसू जब दहके, फाल्‍गुनी बयार में।

बांध सुमनों की वेणी, पहने सन-बिच्छिया,
ग्राम्‍य यौवना ठुमके, फाल्‍गुनी बयार में।

आए दिन उमंगों के, गणगौर पूजन के,
कि रूप प्रिया का दमके, फाल्‍गुनी बयार में।

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