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Wednesday, November 7, 2012

ग़ज़ल



होठों पर एक रेतीली प्‍यास लिए हुए
जी रहे हाथ में खाली गिलास लिए हुए
शूं-शूं करते शहरी नल पर बैठी ''चिडि़या''
दिन भर से एक बूंद की आस लिए हुए
डूबे हैं जहरीली हवा में शहर-बस्‍ती
बसते हैं यहां बीमार अहसास लिए हुए
इस कदर गरम हैं, यारों! मौसम का मिज़ाज
शाख़-शाख़ नंगी, झुलसा मधुमास लिए हुए

कांच का घर जिन्‍दगी, यहां पत्‍थर हुए लोग

बातों में बघनखे या संत्रास लिए हुए।

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