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Friday, August 17, 2012

होली आई है

बजते करताल, ढोल, डफ, उमंग छाई है,
लहक उठा है यौवन कि होली आई है।


रंग सौं भरी बाहें कोमल गोरी गोरी,
रंग ले उमंग, अंग-अंग ठाढ़ी किशोरी।


बढ़ावती उमपान खुली कंचुकी की डोरी,
रस रीति से प्रीति से प्रीतम को मले रोरीं।


मन्‍द-मन्‍द संदेश पिया का बयार लाई है,
ऋतु को ऋतुराज प्रीति कुकुम बरसाई है।


गली-गली खेल रहे रस-फाग रंग डाल-डाल,
भीगी रस-प्रीति से चहुँ ओर खुशियां निहाल।


पश्यिम से प्रियतम प्रियसी को मले गुलाल,
मुरि देखत रंग सौ रांचि मुख प्रिय को बेहाल।


दौड़े ले गुलाल नर-नारी की भीड़ आई है,

प्रिय होली-होली-होली, होली आई है।

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