मुरझा गए सदाबहार,
चिनारों को क्या हो गया?
खिंजा में बदल गई,
यारों! बहारों को क्या हो
गया?
शकुनी शतरंजी बिसात,
सियाती उलटबासियां-
प्रदूषित इन सत्ता
के गलियारों को क्या हो गया?
नाज़ था हमको जिस
यारी पे क्यूं निगाहें फेरली,
गरदिशे लम्हों में
मेरे यारों को क्या हो गया?
मुँह में राम बगल
में छुरी कि चेहरे पे चेहरे,
वो खुशबू, वो प्यार
कहां, व्यवहारों को क्या हो गया?
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