ऐसे में कैसे करें
बात, कोई बात तो हो।
बीते तो कैसे बीते
रात, कोई बात तो हो।।
उमस भरी गुमसुम-सी
ठहरी कहीं हवा है,
लरजे तो सही कि
पीपल-पात, कोई बात तो हो।
दूरियां भी नाप
लेंगे हम डगमगाते पांव से,
अधर हो धरी यदि
सौगात, कोई बात तो हो।
आंसुओं से करलें हम
सुलह भी यदि हाथ में हो-
किसी के मेहन्दी
वाले हाथ, कोई बात तो हो।
बादल हो या बहकाहुआ
शराबी-सा मौसम हो,
रिमझिम सरगम हो कि
बरसात, कोई बात तो हो।
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