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Tuesday, July 24, 2012

मदहोशी की रात है



नयनों से मत बात करो
अधरों से कुछ मधु घोलो
होश की न बात कहो तुम कि मदहोशी की रात है।

नभ के आंगन में सजी,
सितारों की बारात है,
देख धरा का प्‍यार प्राण ! 
गलता चाँद का गात है।
प्रीति-घट रीते मत धरो
अधर के पनघट डुबोलो
पलक की गोद में भीगी, मधु-प्रणय की बरसात है।

मन के सरोवर में खिले,
प्रिये ! प्रणय-जलजात है,
अभिलाषा का शिशु-छोना
मचला, चाह अज्ञात है।
बीच मंझदार मत तरो
बांहों के तट मन घोलो
गीत का चाँद ढ़ल रहा, पास आओ मेरी सौगात है।
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