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Saturday, May 12, 2012

बीत गया बरस

बीत गया बरस
बरबस।
पढते-पढते अखबारी
घटनाएं ।
सहमी-सहमी गूंगी
संध्‍याएं।
अपने को सहेजने
के प्रयास में
टूट गया थर्मस।
बीत गया बरस
बरबस।
निभाने को बनी रहीं
सौगातें
सन्‍दर्भों से कटी हुई
बातें
राह चलती लडकी का ज्‍यों
अचानक झपट गया पर्स ।
बीत गया बरस
बरबस
थक गया मन चर्चित
क्रीडाओं से
टूट गया अन्‍तस ज्‍यों
प्रसव-पीडाओं से
बांट गई ढेर से तिकोन
सरकारी नर्स।
बीत गया बरस
बरबस।

1 comment:

  1. वाह कमाल शैली है आपकी । मुझे पसंद आई , मन को खूब भाई , मिल गया हर रस , खूब बीता ये बरस । बहुत बहुत शुभकामनाएं

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