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Thursday, May 31, 2012

अंधेरे चश्‍में

आंखों पर
लगा अँधेरे चश्‍में
तलाशते हैं रोशनी।
गुजरते हैं
पकड़ अंगुली गुनाह के
तंग रास्‍तों से,
करते हैं दोस्‍ती
पहन कर खद्दर
एैयाशी के गुमाश्‍तों से,
करते हैं बातें चरित्र की
मारते हैं
लड़कियों को को कुहनी।
तलाशते हैं
जन्‍म पर विषमताओं को
समाधान
भाषण में,
बन्‍द है पुस्‍तकों में
गाँधी का दर्शन
कहां है आचरण में ?
कौन पढ़े-गुने
कुर्सियों की चिन्‍ता में
जीते हैं
सुरा-मोहिनी।
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4 comments:

  1. हकीकत का सही दर्शन ,
    आंखों पर
    लगा अँधेरे चश्‍में
    तलाशते हैं रोशनी।
    गुजरते हैं
    पकड़ अंगुली गुनाह के
    तंग रास्‍तों से,

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  2. गाँधी का दर्शन
    कहां है आचरण में ?
    कौन पढ़े-गुने
    कुर्सियों की चिन्‍ता में
    FURSAT KISE HAE ISKE LIYE,GANDHI TO KEWAL VOTE KE LIYE REH GAYE HAE,GANDHIJI KE IN TATHAKATHIT ANUYAYEON SE PUCH KAR TO DEKHO KI UNEHEN GANDHIJI KI JEEVNI MEN KYA ACHHI BAT LAGI?SAB DHOKHA HAE.

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  3. सहजता से भावों को अभिव्यक्त करती तीखी रचना...
    सादर।

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  4. आज की सच्चाई को दर्पण दिखाती सुन्दर अभिव्यक्ति

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