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Thursday, May 3, 2012

लेखक की प्रथम कृति - अशीर्ष कविताएं - प्रथम उद़बोधन

प्रणय की रागात्‍मक अनुभूतियों के गीतकार (रघुनाथसिंह ''यादवेन्‍द्र'') ने पहले गीत संग्रह न देकर अपने प्रथम कविता संग्रह में समसामयिक, सामाजिक व्‍यवस्‍था के खोखलेपन से उद़भूत विद्रोह, खीझ और व्‍यं को वाणी दी है। 

सामाजिक, राजनैतिक, वैयक्तिक संचेतना-स्‍तरों पर अलगाव-बोध के निजी अहसासी के सभी खुरदरे स्‍पर्श इन रचनाओं में है। 

जीवन से जुडी संवेदनाएं, सरल-तरल, सीधी सपाट भाषा और 'आदमी' को छूने वाली व्‍यंन्‍जना इस संग्रह की रचनाओं की विशिष्‍टता है।

इन्‍होंने खूब लिखा है, इनका प्रथम कविता संग्रह ''अशीर्ष कविताएं'' नाम से 1983 में प्रकाशित हुई। आज, चारित्रय, सामाजिक, राजनैतिक ह्रास के संक्रमण-काल में हम अपनी सही पहचान खो चुके हैं और प्रस्‍तुत संग्रह की ''अशीर्ष कविताएं'' स्‍वयं इस सत्‍य को उद़बुद्ध कर रही हैं।

आपको इस संग्रह की कविताएं बिना शीर्षक के पढने को मिलेंगी क्‍योंकि इस संग्रह का नाम ही ''अशीर्ष कविताएं'' है।

--संजय सिंह जादौन


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