आंखें में मेरी तुम
जो झांक कर देखोगे।
एक पसरा हुआ रेतीला
डर देखोगे।।
पिंजरों में बन्द
तोते रटते राम नाम,
बहुत खूबसूरत, मगर
कटे 'पर' देखोगे।
ले के ख्वाहिश जिधर
भी सड़क पे निकलोगे,
जला हुआ, धुंए में
डूबा शहर देखोगे।
किसके रंगे नहीं हाथ
आदमी के खूं से,
जिधर देखोगे हाथ में
खन्जर देखोगे।
धूल से यूं धुंधला
गए बिम्ब दर्पणों के,
कि होठों पे फूल की
हंसी किधर देखोगे।
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