होठों पर एक रेतीली
प्यास लिए हुए
जी रहे हाथ में खाली
गिलास लिए हुए
शूं-शूं करते शहरी
नल पर बैठी ''चिडि़या''
दिन भर से एक बूंद
की आस लिए हुए
डूबे हैं जहरीली हवा
में शहर-बस्ती
बसते हैं यहां बीमार
अहसास लिए हुए
इस कदर गरम हैं,
यारों! मौसम का मिज़ाज
शाख़-शाख़ नंगी, झुलसा मधुमास लिए हुएकांच का घर जिन्दगी, यहां पत्थर हुए लोग
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