डूबे नयन
में जब नयन ।
रस-प्लावित
अरूण अधर पर,
कम्पित
दो अधर जब धरे,
झुकीं
समर्पण में पलकें
प्रश्वास
प्रसून-सा झरे ।
गंधाये
कुसुमित दो क्षण।
डूबे नयन
में जब नयन ।।
कुन्तलों
में घुमा कर-
नेहमय
बजा मौन संगीत,
तिमिर
गुहा-घाटियों में,
प्रसूता
मधुर प्रणय-गीत।
चन्दन
से महकें श्रम-कण ।
डूबे नयन
में जब नयन ।।
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