बैन बैन में
नैन नैन में
कि सौगात है
नई बात है।
फूल-पात में
रक्त-रंग री
घोल-घोल तू
नव-अनंग री,
लाल-लाल सी
भर गुलाल री
तू जवान के
लगा भाल री,
नव-बसन्त में
दिग् दिगन्त में
आज अंगार
फूल-पात है ।
सखी, खेल यों
फागुनी फाग
उठे गूंज ज्यो
भैरवी राग,
चल पड़े जवां
गली-गांव से
भू द्वन्द् सब
एक भाव से,
नए चंग हैं
नव-उमंग है
हृदय में
खिले पारिजात है।
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