मेरे काव्य संग्रह
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Saturday, July 14, 2012
दृष्टि-भ्रम
हम देखते हैं
आस-पास
या
दूर-पास
रंग-बिरंगा
पीला, नीला, हरा,
उन्नावी, करझल,
ककरेजी-फिरोजी
या कोई और,
यह तो
सूर्य की किरणों का
तमाशा भर है
हमारी द़ष्टि का भ्रम है
सत्य से परे हैं
सत्य तो-
सूर्य है।
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