मेरे काव्य संग्रह
सर्वाधिकार सुरक्षित
Click here for
Myspace Layouts
The following text will not be seen after you upload your website, please keep it in order to retain your counter functionality
Trackers
Counter Help
Saturday, June 16, 2012
हैंगर
ऐकान्त
बन्द कमरे में
मन का टेलर
सूती, रेशमी, टेरेलिन के
काल्पनिक वस्त्र
सी-सी कर टांकता है
मस्तिष्क के हैंगर पर
जिन्हें
समय का बौना पुरूष
पहिन-पहिन कर
उतार देता है
नंगी भीड़ के खुले कमरों में।
------
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment