समाजवाद.....
उनको मुटा गया सुख
आ गया
कुर्सियों का स्वाद,
इसलिए उन्होंने
अपनों में बांट लिया
समाजवाद।
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चतुर बन्दे.....
बिना किस श्रम
खोले आश्रम
मांग-मांग कर चन्दे
बड़े हो गए
बापू के बन्दे।
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अभाव.....
चीलों से मंडराते
लोग
मारते हैं छापे
गांव-गांव
रोटी की तलाश में
हर मुंडेर पर
करता है कौआ
कांव-कांव।
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रोटी नही अब तो बोटी की तलाश मे घूम रहे है ये कौवे और गिद्ध
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