बजते
करताल, ढोल, डफ, उमंग छाई है,
दौड़े ले गुलाल नर-नारी की भीड़ आई है,
प्रिय होली-होली-होली, होली आई है।
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लहक उठा
है यौवन कि होली आई है।
रंग सौं
भरी बाहें कोमल गोरी गोरी,
रंग ले
उमंग, अंग-अंग ठाढ़ी किशोरी।
बढ़ावती
उमपान खुली कंचुकी की डोरी,
रस रीति
से प्रीति से प्रीतम को मले रोरीं।
मन्द-मन्द
संदेश पिया का बयार लाई है,
ऋतु को
ऋतुराज प्रीति कुकुम बरसाई है।
गली-गली
खेल रहे रस-फाग रंग डाल-डाल,
भीगी
रस-प्रीति से चहुँ ओर खुशियां निहाल।
पश्यिम
से प्रियतम प्रियसी को मले गुलाल,
मुरि
देखत रंग सौ रांचि मुख प्रिय को बेहाल।
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