नयनों से
मत बात करो
अधरों से
कुछ मधु घोलो
होश की न
बात कहो तुम कि मदहोशी की रात है।
नभ के आंगन में सजी,
सितारों
की बारात है,
देख धरा
का प्यार प्राण !
गलता
चाँद का गात है।
प्रीति-घट
रीते मत धरो
अधर के
पनघट डुबोलो
पलक की
गोद में भीगी, मधु-प्रणय की बरसात है।
मन के सरोवर में खिले,
प्रिये ! प्रणय-जलजात है,
अभिलाषा
का शिशु-छोना
मचला,
चाह अज्ञात है।
बीच
मंझदार मत तरो
बांहों
के तट मन घोलो
गीत का
चाँद ढ़ल रहा, पास आओ मेरी सौगात है।
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बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteसुंदर भाव संयोजन...
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