वृक्ष
जिसकी
जड़ों में गुंथी है आत्मीयता
अपनी मिट्टी से।
मिट्टी से लेता है खुराक
खुराक से तना होता है पुष्ट
फलता है, फूलता है,
फूल-पत्तियों के
रूप-रंग-रस-गंध
बन जाते हैं एक संस्कृति।
फल
होता है एक शाश्वत कलाकृति,
और
मिट्टी से जब वृक्ष की
हो जाती है समाप्त
आत्मीयता
तो वृक्ष
वृक्ष कहां रह पाता है ?
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