गांव के समीप
एक बरसाती नदी है
जो- वर्षा बीत जाने के बाद
सर्दी के विदा होते-होते
गर्मी के आते-आते
ऊँघने लगती है
दिन के उजाले में
बंद आंखों में
सपने-सी
भीतर ही भीतर
अंधेरों में
बहती है
इसे क्या संज्ञा दूँ ?
एक बरसाती नदी है
जो- वर्षा बीत जाने के बाद
सर्दी के विदा होते-होते
गर्मी के आते-आते
ऊँघने लगती है
दिन के उजाले में
बंद आंखों में
सपने-सी
भीतर ही भीतर
अंधेरों में
बहती है
इसे क्या संज्ञा दूँ ?
चोखी कविता
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