खुली भीड
बन्द भीड
अनियंत्रित भीड
नारों और जयकारों की
भीड
देखते हैं हम सब
अधिक सभ्य हो गए
हैं
और बर्बरता
नए बोध का काला चश्मा
लगा
घुल गई
चुस्त बहुरंगी सभ्यता
में।
नए आयाम
नए प्रतीक
नये बोध
अत्याधुनिक युग का
आविर्भाव
नील-नीलान्त अन्तरिक्ष
की
खुलती सीढियां
मगर
ऊपर से नीचे को
उतरता है
एक प्रश्न चिन्ह ?
उपलब्ध्यिों की
अश्रुत गोद में
महा-अभाव के
महा-शून्य में
आणविक – प्रक्षेपास्त्रों
से
भयभीत
विष्मताओं की
घाटियों में
गूंजता
पूछ रहा है अपनी ही
आवाज में
कि नये आयाम पर
क्या पाया ?
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