हां
26 जनवरी
गणतंत्र दिवस
शहीदों के रक्त से लिखा इतिहास
कोटि-कोटि जन-जन का उल्लास
एक आजम है खुशी का चारों ओर;
मगर
मजदूरी के अवकाश से
बिना मजूरी के
एक जर्जरित माँ
बीतते माघ की सर्दी से ठिठुरती
खुद भूख को दफन कर
नीचे खुले आकाश के
ईंटों के चूल्हे के पास बैठ
चापड़ की रोटी खिला
निर्वसन-बच्चों की धंसी-धंसी आंखों में
आसमानी परियों की कहानियां उंढेलती है
आने वाले कल की
नई संभावनाओं की स्थिति की
एक पीढ़ा को भोगकर
एक पीढ़ा को प्रसवती है।
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