रेत के अंधे गर्भ
में
डूब गई है
मेरे गांव के पास
बहने वाली नदी ।
हांफती
ये सूखती खेजडि़यां
पानी की तलाश में
ऊपर उड़ती
चिडि़यां ।
हल करते-करते
पानी का सवाल
बूढ़ी हो चली
पूरी एक सदी।
ये आकाश में किसने
टांग दिए है
शब्दों के मंत्र ?
चिलचिलाती धूप
पसर रही है सर्वत्र।
यह रेतीली धूप
प्यास की पीठ पर
कब तक रहेगी
लदी?
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